घर पर मिड-डे मील देने पर भी विचार

कोरोना वायरस के खतरे से निपटने के लिए उठाए जा रहे कदमों की कड़ी में पंजाब सरकार राज्य की जेलों में बंद ऐसे कैदियों को रिहा करने पर विचार कर रही है, जो साधारण अपराध में सजायाफ्ता हैं और उन्हें रिहा करने से कानून-व्यवस्था की कोई गंभीर समस्या खड़ी नहीं हो सकती। सूबे के जेलों में ऐसे कैदियों की संख्या करीब 6000 है। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा है कि इस मामले को राज्य के एडवोकेट जनरल अतुल नंदा पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस से समक्ष उठा रहे हैं।

उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट द्वारा देशभर की जेलों में बंद कैदियों के बारे में लिए स्वत: संज्ञान के बाद इस मुद्दे पर विचार शुरू किया है। इस संबंध में सरकार को सुप्रीम कोर्ट में जवाब भी दाखिल करना है। बुधवार को मुख्यमंत्री के बयान से पहले सूबे के जेल मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा ने कहा कि मामूली अपराधों में सजा पाए लोगों को रिहा करने पर विचार किया जा सकता है। 

ऐसे कैदियों के बारे में उदाहरण देते हुए जेल मंत्री ने कहा कि दो-ढाई ग्राम हेरोइन या अन्य ड्रग रखने के दोषी कैदियों को रिहा किया जा सकता है। लेकिन ऐसे कैदी जिन्हें रिहा किए जाने से कानून-व्यवसथा की स्थिति पर बुरा असर पड़ सकता है, उन्हें जेलों में ही बंद रखा जाएगा।